निर्भया कांड पर BBC द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री INDIIA'S DAUGHTER देखी। नाम सार्थक था। फिर से 16 दिसंबर 2012 की घटनाएं याद आ गई और घाव गहरे हो गए। अपराधियों ने इंसानियत के साथ हैवानियत की भी हदें पार कर दी थी। घटना की याद आते ही रूह तक काँप जाती है। इस घटना को झेलने वाली लड़की पर थोड़े ही समय के लिए क्या बीती होगी कल्पना भी नहीं होती। आखिरकार उसने मौत को गले लगा ही लिया। और छोड़ गयी एक बहस। फिल में इस घटना को तूफ़ान कहा गया है जो सही भी है जिसने जाने के बाद कई सारे प्रश्नों को छोड़कर चली गई। मन क्षुब्ध था नेताओं तथा समाज के अग्रणी लोगों के भाषणों से।
मुलायम सिंह की बयान 'लड़कों से गलतियां हो जाती है' काफी शर्मनाक था। इसके साथ कई नेताओं तथा धर्म के ठेकेदारों का भी बयान लज्जास्पद था। धर्म को भारत का आत्मा कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा, क्योंकि यहाँ के लगभग 99.9% लोग धर्म को मानते है और धर्म गुरुओं से प्रभावित होते है। ऐसे में उनकी जिम्मेदारियां और अधिक बढ़ जाती है। उल्टा बयान न देकर उन्हें समाज को सही मार्गदर्शन देना चाहिए। कोई भी कानून अपराध को नहीं रोक सकता यदि रोक सकता है तो उसका सोच। हमें अपनी सोच बदलनी होगी।
फिल्म में अपराधियों तथा वकीलों का जो बयान दिखाया गया है वह बहुत ही शर्मनाक है। अपराधी मुकेश का कहना है कि यदि किसी लड़की के साथ बलात्कार हो तो उसे चुपचाप सह लेना चाहिए विरोध नहीं करना चाहिए। ये कैसा बयान है ? कोई लड़की अपनी इज्जत लूटते हुए कैसे चुचाप सह सकती है !
मुलायम सिंह की बयान 'लड़कों से गलतियां हो जाती है' काफी शर्मनाक था। इसके साथ कई नेताओं तथा धर्म के ठेकेदारों का भी बयान लज्जास्पद था। धर्म को भारत का आत्मा कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा, क्योंकि यहाँ के लगभग 99.9% लोग धर्म को मानते है और धर्म गुरुओं से प्रभावित होते है। ऐसे में उनकी जिम्मेदारियां और अधिक बढ़ जाती है। उल्टा बयान न देकर उन्हें समाज को सही मार्गदर्शन देना चाहिए। कोई भी कानून अपराध को नहीं रोक सकता यदि रोक सकता है तो उसका सोच। हमें अपनी सोच बदलनी होगी।
फिल्म में अपराधियों तथा वकीलों का जो बयान दिखाया गया है वह बहुत ही शर्मनाक है। अपराधी मुकेश का कहना है कि यदि किसी लड़की के साथ बलात्कार हो तो उसे चुपचाप सह लेना चाहिए विरोध नहीं करना चाहिए। ये कैसा बयान है ? कोई लड़की अपनी इज्जत लूटते हुए कैसे चुचाप सह सकती है !